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विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (अंतिम भाग )




"य...ये तुम अचानक से इतना बदल कैसे गए?" वीर, विस्तार को इस तरह देखकर हैरान हुआ।

"तुमने मुझसे मेरा परिवार छीना, मेरे दोस्तों को मेरे ही हाथों से मरवा डाला, मेरी दुनिया उजाड़ दी तुमने।" क्रोध से भभकता विस्तार का स्याह चेहरा अत्यधिक डरावना लग रहा था। वीर उसकी ओर टकटकी लगाकर देखता रहा। विस्तार ने उसे उठाकर दूर फेंक दिया।

"तो तुम्हें सब याद आ गया!" वीर ने उठते हुए कहा।

"अभी बहुत कुछ बाकी है! पर अब तेरे पास कुछ भी बाकी नही रहेगा।" वीर ने विस्तार को रोकने की कोशिश की पर असफल रहा। विस्तार का घुसा वीर के जबड़ो को तोड़ चुका था, वीर लहराते हुए मृत्युयोद्धा के शरीर पर जा गिरा।

"यह अचानक से इतना शक्तिशाली कैसे हो गया!" डार्क लीडर यह सब देखकर सोच में पड़ गया। वीर अपने स्थान से उठने का प्रयास कर रहा था पर उसके शरीर में मृत्युयोद्धा की नुकीली हड्डी घुस गई थी।

"मेरी तबाही में तुम्हारा भी कम हाथ नही है डार्क लीडर! अब तुम तबाही देखोगे। अपने आँखों के अपना अंत देख लो डार्क लीडर!" विस्तार तेजी से डार्क लीडर की तरफ बढ़ा पर डार्क लीडर अब सावधान था, उसने अपनी ओर बढ़ते विस्तार पर उर्जावार किया, उर्जावार के कारण विस्तार थोड़ा सा लड़खड़ाया और कुछ दूर पीछे जा गिरा।

"बहुत बोल लिया तूने विस्तार! अब डार्क प्राइम को कोई नही रोक सकता।" दहाड़ते हुए डार्क लीडर उसकी ओर बढ़ा। विस्तार बला की फुर्ती दिखाते हुए अपने स्थान से हट गया, डार्क लीडर का वार खाली गया। इससे पहले डार्क लीडर दूसरा वार कर पाता विस्तार उसे अपने कंधों पर उठाकर आकाश की ओर ऊपर जाने लगा।

"हिसाब तो बराबर होकर ही रहेगा डार्क लीडर! मेरे मस्तिष्क में वो सब आवाजें गूंजती रहती हैं। मेरी दुनिया तुम सब ने अपने स्वार्थ के लिए उजाड़ दी, तुम और तुम्हारी दुनिया संसार के कल्याण के लिए नष्ट होगे।" अचानक दिशा बदलकर विस्तार, डार्क लीडर को कंधे पर कसकर पकड़े धरती की ओर बढ़ा, अगले क्षण तीव्र विस्फोट हुआ, विस्तार डार्क लीडर सहित धरती के गर्त में समा गया। उसी स्थान से तेज जलधारा फव्वारें के रूप में निकली, उसके साथ ही विस्तार बाहर आ निकला।

"क्या हुआ? खुश होने का मौका नही मिला? तुमने अनेकों चाल चली वीर परन्तु अफसोस, तेरी एक भी चाल कामयाब नही हुई!" विस्तार तीव्र गति से वीर की ओर बढ़ा। वीर अपनी सम्पूर्ण शक्ति लगाकर उसे रोकने लगा। एक क्षण को विस्तार का ध्यान भंग हुआ और अगले ही क्षण वीर उसपर हावी होने लगा।

"मैं कोई दूध पीता बच्चा नही हूँ विस्तार जो कब से कुछ भी बके जा रहा है! बोलना मुझे भी आता है!" वीर अपने तलवार लहराते हुए विस्तार की ओर उछला। विस्तार उसे देखकर धीरे से मुस्काया, और एक ओर हटते हुए वीर जबड़े पर जोरदार लात मारी।

"अब तुम्हारी कोई चाल सफल नही होगी लल्लन प्यारे!" विस्तार ने उसे स्याहियों से जकड़ लिया।

"तुम ये क्यों भूल जाते हो विस्तार! शक्तियां मात्र तुम्हारे पास ही नही हैं।" वीर के हाथों से निकली ऊर्जा तरंगे विस्तार से लिपटने लगी।

"आह..!" विस्तार को भयंकर दर्द होने लगा। उसे फिर से वही सब नजर आने लगा।

"अब तू मरेगा विस्तार! मेरे ही हाथों से मरेगा।" वीर गुर्राया।

"मर तो मैं उसी दिन गया था जिस तुमने राघव से सौदा कर मेरी जिंदगी बचाई थी वीर! इतने दिन तक तो तुम्हारी मृत्यु जी रही थी और मृत्यु कभी मरा नही करती।"  विस्तार ने उसके ऊर्जा बन्धनों को तोड़ डाला।

"आश्चर्य! ये ऊर्जा बंधन किसी भी जीव को उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी के पास ले जाते हैं। फिर तू ये सब कैसे कर पा रहा है।" वीर यह सब देखकर हैरान था।

"आसान है! मेरी कमज़ोरी ही मेरी सबसे बड़ी ताकत है।" विस्तार ने वीर को उठाकर जोर से पटका और उसके पीठ पर अपना दायाँ पैर रखकर बाएं हाथ को जोर से खिंचने लगा। एक पल को वीर को लगा जैसे उसका हाथ शरीर से अलग हो जाएगा। वह इस तनाव को नही सहन कर पा रहा था। सुपीरियर लीडर स्तब्ध खड़ा था।

"देख क्या रहा है सुपीरियर लीडर! रोक इसे।" वीर, कराहते हुए  चिल्लाया।

सुपीरियर लीडर तेजी से विस्तार की ओर बढ़ा, अचानक वह एक स्थान पर ठिठक गया।

"क्या हुआ तुझे?" वीर स्वयं को छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रहा था। सुपीरियर लीडर को ऐसा करते हुए देख उसे कुछ समझ नही आ रहा था।

"मत भूल वीर की इस सुपीरियर लीडर के भीतर मेरा भाई अमन है! वह तेरी शक्तियों का विरोध कर रहा है।" विस्तार का स्याह चेहरा तमतमा रहा था, अगले कुछ ही पलों में वीर का खेल समाप्त हो जाने वाला था। परन्तु विस्तार को इतना समय नही मिला, किसी तीव्र गति के चीज से टकराने से वह दूर जा गिरा। उसके समक्ष डार्क लीडर अपने प्राइम अवतार में खड़ा था।

"दुनिया पर राज तो तब करेंगे जब ये इस दुनिया को छोड़ेगा वीर! फिलहाल इससे साथ मिलकर निबटना होगा फिर बाद में हम अपना फैसला कर लेंगे।" डार्क लीडर ने वीर को उठाते हुए कहा।

"पर इस दुनिया पर राज तो मैं ही करूँगा।" वीर के चेहरे पर कुटिल मुस्कान छा गयी।

"बस बहुत हो गया तुम सबका!" विस्तार उन दोनों पर स्याह ऊर्जा से वार करने लगा।

"अभी नही तो कभी नही वीर!" डार्क लीडर ने वीर को विस्तार की ओर उछाल दिया। इससे पहले वीर कुछ कर पाता विस्तार का ठोस उर्जावार उसे धूल चटा चुका था। डार्क लीडर ने इस मौके का फायदा उठाकर विस्तार पर लगातार उर्जाबन्ध का प्रयोग करने लगा, विस्तार को ऐसी अपेक्षा नहीं थी, वह लड़खड़ाते हुए परकटे पंछी की भांति गिरने लगा।

"अब क्या कभी नही!" वीर ने उठते हुए कहा।

"अब कुछ भी कभी नही होगा वीर!" विस्तार ने दोनों पर ओमेगा किरण से वार किया। ओमेगा किरण वीर की ओर बढ़ी। इससे पहले किरण उससे टकराती वह वहां से भागते हुए काफी दूर चला गया। विस्तार डार्क लीडर को पकड़कर उसके चेहरे पर लगातार मुक्कों से प्रहार करते हुए, धरती पर घसीटता हुआ तेजी से एक ओर बढ़ता गया। थोड़ी ही दूर जाकर वह एक अतिठोस वस्तु से टकरा गया। सामने जो खड़ा था उसे देखने के बाद डार्क लीडर को अपनी आँखों पर यकीन नही हो रहा था

"बस विस्तार! अब थम जा।" ग्रेमाक्ष ने खूंखार स्वर में कहा। उसके हाथों में सोर्ड-एक्स सजी हुई थी। दोनों सींगे आश्चर्यजनक रूप से अत्यधिक चमक रही थीं।

"तुम्हें मेरे सामने नही आना चाहिए था ग्रेमाक्ष!" विस्तार ने ग्रेमाक्ष पर शक्तिशाली प्रहार किया पर वह अपने स्थान से टस से मस तक न हुआ।

"कौन सी चक्की का आटा खाकर आये हो इस बार!" विस्तार ने मुँह बनाया।

"तुझे शायद एक बात पता नही है, मुझे मजाक नही पसन्द है! और तेरे मुँह से तो बिल्कुल भी नहीं।" ग्रेमाक्ष के शक्तिशाली घूसे ने विस्तार की नकसीर तोड़ दी।

"तेरा अंत तो मेरे ही हाथों तय है ग्रेमाक्ष!" विस्तार अपने नाक से बहते खून को पोछते हुए बोला।

"स्वप्न देखना छोड़ दे विस्तार!" ग्रेमाक्ष के सींगो से बूम रे निकलकर विस्तार की ओर बढ़ी। "अब अपने अंत को स्वीकार कर। तेरे बाद इन दोनों को भी सजा मिलेगी।"

विस्तार किसी तरह बूम रे से बचा, पर ग्रेमाक्ष यही नही रुका वह एक के बाद एक, लगातार वार करने लगा। विस्तार किसी तरह कूदते-फांदते हुए उसके वारों से बच रहा था।

'कायदे से इसे कमज़ोर होना चाहिए था पर ये तो और शक्तिशाली हो गया, इसकी कमज़ोरी विशुद्ध ऊर्जा है परन्तु इसके शरीर में प्रवेश कैसे कराऊँ?... ओ मिल गया मार्ग! महाकाल करें मैं सफल होऊं।' विस्तार स्वयं से ही विचार कर रहा था। वह एक स्थान पर ठिठका, उसका ओमेगा चिन्ह तेजी से चमक रहा था। ओमेगा रे, बूम रे से जा टकराई। दोनों की ही ऊर्जा समान नजर आ रही थी, ग्रेमाक्ष के चेहरे के भाव बदलने लगे उसने विस्तार की ओर सोर्ड-एक्स उछाला, विस्तार ने उसे अपने हाथो के हल्के से टच से दूसरी ओर उछाल दिया। ग्रेमाक्ष कि शक्तियां क्षीण होती जा रही थीं, उसकी सींगे पिघलने लगीं, वह जोर जोर से दहाड़ने लगा। अगले ही पल ग्रेमाक्ष धरती पर धड़ाम से जा गिरा।

"जो हिस्सा सबसे शक्तिशाली नजर आता है वही वास्तव में सबसे कमजोर होता है। मुझे ये आइडिया पहले क्यों नही आया। पर शायद मैं इस बार कामयाब इसलिए हुआ क्योंकि उसकी शक्ति तीन हिस्सों में बंट चुकी थी अन्यथा यह दुबारा मेरा पहले की ही तरह हाल करता।" विस्तार ने एक पल को चैन की सांस ली।

"आश्चर्य! घोर आश्चर्य! इसने ग्रेमाक्ष को मार डाला।" डार्क लीडर आश्चर्यचकित था।

"इसमे आश्चर्य करने की क्या बात है डार्क लीडर! यह तो इसी के हाथों ही मरने वाला था।" वीर ने डार्क लीडर से कहा। दोनों विस्तार की र तेजी से बढ़े।

"मुझे तो आश्चर्य तब भी हुआ था जब ग्रेमाक्ष अचानक से वापस आ गया था, मैंने सोचा हमारा काम वो कर देगा पर बिचारा खुद नरक सिधार लिया।" कहते हुए डार्क लीडर हवा में उछला।

"एक का खेल खत्म! अब तुम दोनों भी ज्यादा देर तक नही टिकोगे।" विस्तार भी उनकी ओर बढ़ा।

"कमाल है! इस बार शक्तियों के इतने अधिक उपयोग के बाद भी यह सन्तुलित कैसे है?" वीर, विस्तार को देखकर हैरान था।

"आश्चर्यों की गणना बाद में कर लेना ज्योतिष महोदय!" वीर के घुसे को रोकते हुए विस्तार ने उसे जबरदस्त पटखनी दे मारी। डार्क लीडर उसकी ओर बढ़ा पर उसका नगर स्वभाव देखते ही एक ओर भाग खड़ा हुआ। सुपीरियर लीडर अब भी स्तब्ध खड़ा था जैसे वो अपने भीतर अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा हो।

"अब तू नही बचेगा डार्क लीडर!" विस्तार ने डार्क लीडर पर ओमेगा रे से वार किया। इससे पहले ओमेगा किरण डार्क लीडर से टकराती, वीर ने सुपीरियर लीडर को उन दोनों के बीच उछाल दिया।

"नही!" विस्तार चिल्लाया। उसका स्वर अंधेरी दुनिया के कोने कोने में गूँजने लगा। वह सुपीरियर लीडर का सिर अपने गोद में रखकर रोने लगा। "मैंने खुद से वादा किया था कि तुम्हें कुछ नही होने दूंगा अमन, तुमने मुझपर हाथ तक नही उठाया और मेरे ही हाथों मारे गए। हे महाकाल! यह क्या अनर्थ हो गया मुझसे!" विस्तार के आँसू अमन के चेहरे पर गिरने लगा। उसका चेहरा पहले की तरह सामान्य होने लगा।

"यही अवसर है डार्क लीडर!" वीर ने अपनी रक्तिम तलवार निकालते हुए कहा।

"विस्तार!" अमन के मुख से हल्का सा स्वर निकला, विस्तार आंखे फाड़े उसे देख रहा था।

"अमन! मेरे भाई। हक्क…!" इसके आगे विस्तार कुछ बोल पाता उसके सीने में दो तलवारे धंस चुकी थी। वीर और डार्क लीडर के चेहरे पर कुत्सित विजयी मुस्कान थी, विस्तार की छाती और पीठ से लहू रिसने लगा। वह अपने ही लहू में नहा चुका था। उसके लाख कोशिशों के बाद भी तलवारें उसके शरीर से अलग होने का नाम नहीं ले रहीं थीं।

"ये कोई सामान्य अस्त्र नही हैं विस्तार! इनके संयुक्त रहर से स्वयं देवो का बच पाना भी सम्भव नही है। अब अपने अंत को स्वीकार कर हाहाहा…!" वीर और डार्क लीडर के मुख से भयानक हंसी उबलने लगी।

"अंत अवश्य होगा वीर ...अहह..!" कराहते हुए विस्तार बोला। उसे ऐसा लग रहा था मानो कई ग्रहों का भार उसपर लाद दिया गया हो, लगातार खून बहने के कारण वह कमज़ोर हो रहा था, उसके सीने पर बना ओमेगा चिन्ह बुझने लगा था। "परन्तु मेरा नही इस संसार का!" अचानक ही आसपास की सभी स्याह ऊर्जा विस्तार के शरीर में समाने लगी।

"नही! तुम ऐसा नही कर सकते विस्तार!" वीर चीखने लगा।

"मैं ऐसा कर सकता हूँ।" वह संसार सिमटने लगा। "यदि कोई वस्तु अंधकार में प्रकाश कर सकती है तो वह अंधकार को स्वयं के अंदर सोख भी सकती है वीर.. अहह! अब किस दुनिया पर राज करोगे तुम!" विस्तार के चेहरे पे विजयी मुस्कान थी।

"पर ऐसा करके तुम भी मारे जाओगे।" वीर ने झूठी सहानुभूति दिखाते हुए चेतावनी दी।

"मैं तो वैसे ही मर रहा हूँ हाहाहा..!" विस्तार के मुख से व्यंग्यपूर्ण हंसी निकली। वह इस ऊर्जा के अत्यधिक प्रवाह को  सहन नही कर पा रहा था, भीषण दर्द से उसका रोम रोम भर गया था इसलिए अपने जबड़े भींचे हुए दर्द को पीने की कोशिश कर रहा था।

"नही….!!" वीर और डार्क लीडर की चीख उभरी।

"नही विस्तार ऐसा मत करो प्लीज!" अमन, विस्तार को ऐसा करते देख रोने लगा। आज सुपीरियर लीडर पर अमन विजय प्राप्तकर चुका था।

"युध्द हमेशा कुर्बानी मांगता है मेरे भाई! अब यहां एक नई दुनिया बसेगी।" विस्तार के चेहरे पर असीम संतोष था। अंधेरे की दुनिया पूरी तरह सिमटते हुए विस्तार में प्रवेश करती जा रही थी।

अचानक रोशनी का तेज धमाका हुआ और फिर सबकुछ समाप्त हो चुका था।

■■■

"अब हमें अपना कार्य करना ही होगा डार्क फेयरीज़!" मैत्रा ने डार्क फेयरीज़ से कहा। वह चिंतित नजर आ रही थी।

"ऐसा करने से हम पुनः मानव रूप धर अपनी स्मृतियों को भूलने पर विवश हो जाएंगे! इस बात को भूलना नही!" आँच ने कहा।

"परन्तु संसार के कल्याण के लिए यह आवश्यक है आँच! जब विस्तार अपना बलिदान दे सकता है तो हम क्यों नही।" ऐश ने कहा।

"ठीक है! समय के उस पल में जाकर पुनः शुरू करना होगा जहां से यह सब आरम्भ हुआ।" आँच ने एक ओर बढ़ते हुए कहा।

"परन्तु मुझे समझ नही आया वीर हमें उसकी बहन बनाकर साबित क्या करना चाहता था?" ऐश ने आँच से सवाल किया।

"क्योंकि वह विस्तार को मानसिक रूप से कमज़ोर करना चाहता था, पर उसका पासा उसी पर उल्टा पड़ गया। विस्तार किसी का कुछ न होते हुए भी इस संसार को अपना ऋणी बना गया।" मैत्रा ने ऐश के पास आकर धीमे स्वर में कहा।

"हमें अब अपना कार्य करना होगा मैत्रा! अधिक विलम्ब उचित नही है।" आँच ने मैत्रा से कहा। "सच कहूं तो मैं उसे इंकार नही करना चाहती थी परन्तु मेरे पास उसके अतिरिक्त कोई मार्ग न था। वो सच्चाई के साथ लड़ रहा था, झूठ उसे कमज़ोर कर देता, मुझे यह कदापि स्वीकार न होता।" आँच की आँखों में दृढ़ता झलक रही थी।

"भावनाएं जीवों की सबसे बड़ी कमजोरी हैं तो सबसे बड़ी ताक़त भी हैं आँच! परन्तु भावनाओ में बहने के पश्चात स्वयं का अस्तित्व बुझ जाता है।" मैत्रा ने आँच से कहा।

"उसने स्वयं के अस्तित्व को दांव पर लगाकर इस दुष्कर कार्य को किया है अब हमारी बारी हैं, प्रक्रिया शुरू करो।" ऐश थोड़ी सी भावुक हो गयी थी।

"अब किसी भी मनुष्य की स्मृति में विस्तार का कोई अस्तित्व न रहे। इसका ध्यान रखना ऐश!" मैत्रा ने दुःखी स्वर में कहा।

" यदि यही संसार के हित में है, तो हमें यह करना ही होगा। परन्तु इसके बाद विस्तार कहा होगा?" ऐश ने पूछ लिया। वह भी दुखी नजर आ रही थी।

"ये तुम्हें पता है ऐश! समय के साथ संसार को भी पता चल जाएगा।" आँच ने धीरे से कहा।

"ठीक है अब चलो! अधिक समय नही हैं हमारे पास।" ऐश ने आँच का हाथ पकड़ते हुए कहा। जाने क्यों उसे लग रहा था कि विस्तार अभी जीवित है। उन्हें बस समय को उस समय से फिर से शुरू करना था जबसे यह सब शुरू हुआ यानी सुंदरवन!

रोशनी का एक तेज झमाका हुआ और फिर सबकुछ बदल चुका था।

◆◆◆

सुंदरवन..

सुबह हो चुकी थी, चारों ओर पंछी कलरव कर रहे थे, सूर्य की पहली किरण से प्रकृति नहाकर तृप्तहो चुकी थी। आस पास से कल-कल की मधुर आवाजें आ ही थीं।

"गाइज़! देखों सुबह हो गयी है। अब तक कोई उठा क्यों नही" अपने टेंट से बाहर आकर दोनों हाथों को ऊपर उठाकर अकड़ाते हुए ऊँघकर शिवि चिल्लाती है। सब जल्दी-जल्दी टेंट्स से बाहर आते हैं।

"हाँ यार यहां की सुबह तो कमाल की है!" अमन ने कहा, अचानक उसे एहसास हुआ जैसे उसका एक हिस्सा खो सा गया हो, उसके अन्तर्मन में अजीब से हलचल हुई। जय, आँसू, शिल्पी, केशव और अमित सभी उसे खाने वाली नजरों से घूरे जा रहे थे। अमन को यह बहुत ही अजीब लगा, उसे लगा जैसे उसने कोई बुरा सपना देखा हुआ हो, इसलिए वह उनकी ओर बढ़ गया।

"यार कोई सूरज तो देखो!" जय जोर से चिल्लाया।

"क्या हुआ?" अमित ने पूछा।

"अरे कुछ नही! ये महाशय बस नौटंकी हैं।" केशव ने व्यंग्यपूर्ण उत्तर दिया।

"चलिए आज आप लोगों को उत्तर की ओर का जंगल घुमाकर लाते हैं। आप लोग भी क्या खूब याद रखेंगे किसी दरियादिल ऑफिसर से पाला पड़ा था।" उनकी टेंट की तरफ आते हुए ऑफिसर शुभ ने हँसते हुए कहा।

■■■■■

"अब सब कुछ बदल चुका है, शायद विस्तार का कोई अस्तित्व बाकी नही बचा परन्तु उसने अपना कार्य पूर्ण किया। अब यह समय विस्तार को भूल चुका है, आवश्यक नही है कि संसार आपको याद करे बस आप अपने कर्त्तव्य पथ से कदम न डिगने दें।"

समाप्त!!


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10 Comments

Ilyana

26-Nov-2021 05:06 PM

nice

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thank you

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Niraj Pandey

09-Oct-2021 12:25 AM

बहुत ही बेहतरीन कहानी थी शुरू से अंत तक रोमांच से भरी हुई जबरदस्त👌

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thank you

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Seema Priyadarshini sahay

07-Sep-2021 03:55 PM

बहुत ही खूबसूरत रचना

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thanks

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